June 22, 2010 addenda : Extra thoughts that did not fit in the column, above. तीसरा है सातत्य- अर्थव्यवस्था को पृथ्वी के पर्यावरण के साथ आत्मसात करने के किये नयी व्यवस्था, “ वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों से चलेगी, जैविक खेती होगी, स्थानीय खाद्य बाजार होंगे और बन्द क्षेत्र में चक्रानुवर्ती उद्योग होंगे यदि इनकी आवश्यकता होगी। लोग सार्वजनिक परिवहन का सहारा लेंगे या फिर ऐसी कार पर चलेंगे जो पृथ्वी पर धीरे से चलेगी या फिर बेहतर होगा कि साइकिल पर चलेंगे। लोग प्रकृति के अनुकूल भवनों में रहेंगे जो कि स्थानीय सामग्री से बने होंगे और ऐसे शहरों में बसेंगे जो कि जैविक क्षेत्र में जैविक ढंग से विकसित होंगे। जीवन पूरी तरह कार्बन पदार्थों से मुक्त होगा। यह स्थाई जीवन होगा”।